सावधान : कनेर से आपको लेने के देने पड़ सकते हैं.

Classical Ayurveda

पवित्र और खूबसूरत फूलों के लिए विख्यात कनेर अपने औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है.

कनेर का धार्मिक महत्व

कनेर के पेड़ में साक्षात् भगवन विष्णु का वास होता है, कनेर के पुष्प भगवन शिव को प्रिय होता है.

कनेर के औषधीय गुण

कनेर के फूलों, पत्तियों और जड़ को त्वचा रोगों, बालों के स्वास्थ्य, दन्त शूल, खुजली, सर दर्द में हितकारी बताया जाता है.

आयुर्वेद में कनेर को करवीर और संस्कृत में इसे अश्वमारक कहते हैं. आयुर्वेद में इसे उपविष बताया गया है.

आधुनिक विज्ञान में भी पीले कनेर के विषाक्त और जानलेवा गुणों की पुष्टि की जा चुकी है.

इस पौधे के सभी भागों में कार्डियक ग्लाइकोसाइड पाए जाते हैं जो मनुष्यों और जानवरों के लिए अत्यधिक विषैले होते हैं.

प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में केवल लाल और सफ़ेद कनेर का वर्णन मिलता है जबकि पीले का नहीं. पीला कनेर एक विदेशी पौधा है और अनुवांशिकीय रूप से कनेर कुल का भी नहीं है.

दुनियाभर में इसकी विषाक्तता के अनेकानेक मामले ज्ञात हैं. 

इसका किसी भी तरह का उपयोग खतरनाक हो सकता है.

आयुर्वेद में विषों और उपविषों को औषधि में बदलने की बेहद जटिल और संश्लिष्ट प्रक्रियाएं हैं जिनसे इनकी विषाक्तता समाप्त अथवा न्यून हो जाती हैं और औषधीय गुण बढ़ जाते हैं.

इसलिए विशेषज्ञ की सलाह अथवा तथ्यों का युक्ति-युक्त सत्यापन किये बगैर किसी भी स्वास्थ्य युक्ति का अनुशरण खतरनाक हो सकता है.

The Author: Classical ayurveda

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